"लक्ष्मण! यदि मैं श्री राम से बिछुड़ जाती हूँ, तो मैं गोदावरी नदी में डूब जाऊँगी या अपने गले में फंदा डाल लूँगी अथवा किसी ऊँचे पर्वत पर चढ़कर वहाँ से अपने शरीर को नीचे गिरा दूँगी या फिर तीव्र विष पी लूँगी या जलती हुई आग में प्रवेश कर जाऊँगी, परंतु श्री रघुनाथ जी के अलावा किसी भी दूसरे पुरुष को मैं कभी नहीं छूऊँगी।"