वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 3: अरण्य काण्ड
»
सर्ग 45: सीता के मार्मिक वचनों से प्रेरित होकर लक्ष्मण का श्रीराम के पास जाना
»
श्लोक 35
श्लोक
3.45.35
लक्ष्मणेनैवमुक्ता तु रुदती जनकात्मजा।
प्रत्युवाच ततो वाक्यं तीव्रबाष्पपरिप्लुता॥ ३५॥
अनुवाद
play_arrowpause
लक्ष्मण के यह कहने पर जनकराज की पुत्री सीता रोने लगीं। उनकी आँखों से आँसुओं की तेज धारा बह चली। उन्होंने इस प्रकार उत्तर देते हुए कहा-।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.