वन में रहने वाले सभी प्राणी मेरे कथन के साक्षी होकर सुनें। मैंने न्यायपूर्ण बात कही है, फिर भी आपने मेरे बारे में इतनी कठोर बात अपने मुँह से निकाली है। निश्चित ही आज आपका विवेक मर गया है। आप स्वयं अपना नाश चाहती हैं। लज्जा आती है आपको कि आप मुझपर ऐसा संदेह करती हैं। मैं बड़े भाई की आज्ञा का पालन करने के लिए दृढ़तापूर्वक तत्पर हूँ और आप केवल स्त्री होने के कारण साधारण महिलाओं के दुष्ट स्वभाव को अपनाकर मेरे प्रति ऐसी आशंका करती हैं। ठीक है, अब मैं वहाँ जा रहा हूँ जहाँ भैया श्रीराम गए हैं। सुमुखी! आपका कल्याण हो।