श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 45: सीता के मार्मिक वचनों से प्रेरित होकर लक्ष्मण का श्रीराम के पास जाना  »  श्लोक 29
 
 
श्लोक  3.45.29 
 
 
वाक्यमप्रतिरूपं तु न चित्रं स्त्रीषु मैथिलि।
स्वभावस्त्वेष नारीणामेषु लोकेषु दृश्यते॥ २९॥
 
 
अनुवाद
 
  मैथिलि! स्त्रियों से ऐसे प्रतिकूल और अनुचित वचन निकलना असामान्य नहीं है; क्योंकि दुनिया में अक्सर स्त्रियों का यही स्वभाव देखा जाता है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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