श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 45: सीता के मार्मिक वचनों से प्रेरित होकर लक्ष्मण का श्रीराम के पास जाना  »  श्लोक 26-27h
 
 
श्लोक  3.45.26-27h 
 
 
समक्षं तव सौमित्रे प्राणांस्त्यक्ष्याम्यसंशयम्॥ २६॥
रामं विना क्षणमपि नैव जीवामि भूतले।
 
 
अनुवाद
 
  "सुमित्रानंदन! मैं निस्संदेह आपके समक्ष ही अपने प्राण त्याग दूँगी, परंतु श्री राम के बिना मैं इस धरती पर एक क्षण भी जीवित नहीं रह सकती।"
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.