श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 45: सीता के मार्मिक वचनों से प्रेरित होकर लक्ष्मण का श्रीराम के पास जाना  »  श्लोक 10-11h
 
 
श्लोक  3.45.10-11h 
 
 
पन्नगासुरगन्धर्वदेवदानवराक्षसै:॥ १०॥
अशक्यस्तव वैदेहि भर्ता जेतुं न संशय:।
 
 
अनुवाद
 
  विदेह नंदिनी! विश्वास करो, नाग, असुर, गंधर्व, देवता, दानव और राक्षस- ये सभी मिलकर भी तुम्हारे पति को परास्त नहीं कर सकते। मेरे इस कथन में कोई संशय नहीं है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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