श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 45: सीता के मार्मिक वचनों से प्रेरित होकर लक्ष्मण का श्रीराम के पास जाना  »  श्लोक 1
 
 
श्लोक  3.45.1 
 
 
आर्तस्वरं तु तं भर्तुर्विज्ञाय सदृशं वने।
उवाच लक्ष्मणं सीता गच्छ जानीहि राघवम्॥ १॥
 
 
अनुवाद
 
  आर्तनाद को सुनकर श्रीसीताजी ने लक्ष्मण से कहा—‘भैया! उसका स्वर श्रीरघुनाथजी के स्वर के समान लग रहा है, जाओ और उनके समाचार लेकर आओ।’
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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