श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 44: श्रीराम के द्वारा मारीच का वध और उसके द्वारा सीता और लक्ष्मण के पुकारने का शब्द सुनकर श्रीराम की चिन्ता  »  श्लोक 9
 
 
श्लोक  3.44.9 
 
 
आसीत् क्रुद्धस्तु काकुत्स्थो विवशस्तेन मोहित:।
अथावतस्थे सुश्रान्तश्छायामाश्रित्य शाद्वले॥ ९॥
 
 
अनुवाद
 
  उस समय उससे मोहित और विवश होकर श्री राम थोड़े क्रोधित हो उठे और थककर एक जगह पेड़ की छाया का आश्रय लेकर हरी-हरी घास वाली जमीन पर खड़े हो गए।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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