श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 44: श्रीराम के द्वारा मारीच का वध और उसके द्वारा सीता और लक्ष्मण के पुकारने का शब्द सुनकर श्रीराम की चिन्ता  »  श्लोक 8
 
 
श्लोक  3.44.8 
 
 
दर्शनादर्शनेनैव सोऽपाकर्षत राघवम्।
स दूरमाश्रमस्यास्य मारीचो मृगतां गत:॥ ८॥
 
 
अनुवाद
 
  इस प्रकार श्रीरघुनाथजी को दिखाई देकर और छिपाकर मारीच उन्हें उनके आश्रम से बहुत दूर ले गया। मारीच मृग का रूप धारण कर श्रीरघुनाथजी को दूर तक ले गया और अंततः उनके आश्रम से बहुत दूर ले गया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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