श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 44: श्रीराम के द्वारा मारीच का वध और उसके द्वारा सीता और लक्ष्मण के पुकारने का शब्द सुनकर श्रीराम की चिन्ता  »  श्लोक 27
 
 
श्लोक  3.44.27 
 
 
निहत्य पृषतं चान्यं मांसमादाय राघव:।
त्वरमाणो जनस्थानं ससाराभिमुखं तदा॥ २७॥
 
 
अनुवाद
 
  श्रीराम ने उस अनोखे मृग का वध करके तपस्वी के भोजन हेतु फल-मूल आदि लेकर तुरंत ही जनस्थान के पास स्थित पंचवटी में स्थित अपने आश्रम की ओर बड़ी जल्दी से प्रस्थान किया।
 
 
इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्येऽरण्यकाण्डे चतुश्चत्वारिंश: सर्ग: ॥ ४ ४॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके अरण्यकाण्डमें चौवालीसवाँ सर्ग पूरा हुआ ॥ ४ ४॥
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.