श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 44: श्रीराम के द्वारा मारीच का वध और उसके द्वारा सीता और लक्ष्मण के पुकारने का शब्द सुनकर श्रीराम की चिन्ता  »  श्लोक 25-26
 
 
श्लोक  3.44.25-26 
 
 
इति संचिन्त्य धर्मात्मा रामो हृष्टतनूरुह:॥ २५॥
तत्र रामं भयं तीव्रमाविवेश विषादजम्।
राक्षसं मृगरूपं तं हत्वा श्रुत्वा च तत्स्वनम्॥ २६॥
 
 
अनुवाद
 
  धर्मात्मा श्री राम ने विचार करके रोएँगे खड़े हो गए। उस समय मृगनुमा रूप धरे राक्षस को मारने के पश्चात और उसके भयावह स्वर को सुनकर श्रीराम के मन में विषाद उत्पन्न हुआ और भय छा गया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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