श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 44: श्रीराम के द्वारा मारीच का वध और उसके द्वारा सीता और लक्ष्मण के पुकारने का शब्द सुनकर श्रीराम की चिन्ता  »  श्लोक 24-25h
 
 
श्लोक  3.44.24-25h 
 
 
हा सीते लक्ष्मणेत्येवमाक्रुश्य तु महास्वनम्।
ममार राक्षस: सोऽयं श्रुत्वा सीता कथं भवेत्॥ २४॥
लक्ष्मणश्च महाबाहु: कामवस्थां गमिष्यति।
 
 
अनुवाद
 
  हा सीते! हा लक्ष्मण! की जोरदार पुकार करते हुए वह राक्षस मर गया। उसकी उस पुकार को सुनकर सीता की क्या स्थिति होगी और महाबाहु लक्ष्मण की क्या दशा होगी?
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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