श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 43: कपटमृग को देखकर लक्ष्मण का संदेह, सीता का उस मृग को ले आने के लिये श्रीराम को प्रेरित करना, लक्ष्मण को सीता की रक्षा का भार सौंप राम का मृग के लिये जाना  »  श्लोक 4
 
 
श्लोक  3.43.4 
 
 
तावाहूतौ नरव्याघ्रौ वैदेह्या रामलक्ष्मणौ।
वीक्षमाणौ तु तं देशं तदा ददृशतुर्मृगम्॥ ४॥
 
 
अनुवाद
 
  नरश्रेष्ठ श्री राम और लक्ष्मण, वैदेही सीता के पुकारने पर वहाँ पहुँचे और तुरंत उस स्थान पर सब ओर दृष्टि डालते हुए उन्होंने उस समय उस मृग को देखा।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.