श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 43: कपटमृग को देखकर लक्ष्मण का संदेह, सीता का उस मृग को ले आने के लिये श्रीराम को प्रेरित करना, लक्ष्मण को सीता की रक्षा का भार सौंप राम का मृग के लिये जाना  »  श्लोक 31
 
 
श्लोक  3.43.31 
 
 
मांसहेतोरपि मृगान् विहारार्थं च धन्विन:।
घ्नन्ति लक्ष्मण राजानो मृगयायां महावने॥ ३१॥
 
 
अनुवाद
 
  लक्ष्मण! राजा लोग बड़े-बड़े वनों में मृगया करते समय शिकार का सुख लेने के लिए और मांस प्राप्त करने के लिए भी धनुष हाथ में लेकर मृगों को मारते हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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