पश्य लक्ष्मण वैदेह्या: स्पृहामुल्लसितामिमाम्।
रूपश्रेष्ठतया ह्येष मृगोऽद्य न भविष्यति॥ २५॥
अनुवाद
देखो लक्ष्मण! विदेह नन्दिनी सीता के मन में इस मृग का सुन्दर रूप देखकर कितनी प्रबल इच्छा जागी है? मृग के इस रूप की श्रेष्ठता ही उसकी मृत्यु का कारण बनने वाली है।