श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 43: कपटमृग को देखकर लक्ष्मण का संदेह, सीता का उस मृग को ले आने के लिये श्रीराम को प्रेरित करना, लक्ष्मण को सीता की रक्षा का भार सौंप राम का मृग के लिये जाना  »  श्लोक 19
 
 
श्लोक  3.43.19 
 
 
जीवन्न यदि तेऽभ्येति ग्रहणं मृगसत्तम:।
अजिनं नरशार्दूल रुचिरं तु भविष्यति॥ १९॥
 
 
अनुवाद
 
  पुरुषसिंह! यदि किसी कारण से यह श्रेष्ठ मृग जीते-जी पकड़ा न जा सका, तो भी इसका चमड़ा बहुत सुंदर होगा।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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