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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 3: अरण्य काण्ड
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सर्ग 43: कपटमृग को देखकर लक्ष्मण का संदेह, सीता का उस मृग को ले आने के लिये श्रीराम को प्रेरित करना, लक्ष्मण को सीता की रक्षा का भार सौंप राम का मृग के लिये जाना
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श्लोक 17
श्लोक
3.43.17
समाप्तवनवासानां राज्यस्थानां च न: पुन:।
अन्त:पुरे विभूषार्थो मृग एष भविष्यति॥ १७॥
अनुवाद
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वनवास की अवधि समाप्त हो जाने और पुनः अपना राज्य पा लेने पर यह मृग हमारे अंतःपुर की शोभा बढ़ाएगा।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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