श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 43: कपटमृग को देखकर लक्ष्मण का संदेह, सीता का उस मृग को ले आने के लिये श्रीराम को प्रेरित करना, लक्ष्मण को सीता की रक्षा का भार सौंप राम का मृग के लिये जाना  »  श्लोक 16
 
 
श्लोक  3.43.16 
 
 
यदि ग्रहणमभ्येति जीवन् नेव मृगस्तव।
आश्चर्यभूतं भवति विस्मयं जनयिष्यति॥ १६॥
 
 
अनुवाद
 
  यदि यह मृग आपके हाथ जीवित रहते हुए आ जाए तो यह एक आश्चर्यजनक घटना होगी और सभी के दिलों में विस्मय उत्पन्न कर देगी।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.