राजन्! महाबाहो! हमारे आश्रम के इस पावन स्थान पर बहुत-से मृग, सृमर (काली पूँछवाली चवँरी गाय), चमर (सफेद पूँछवाली चवँरी गाय), रीछ, चितकबरे मृगों के झुंड, वानर तथा सुन्दर रूपवाले महाबली किन्नर विचरण करते हैं। लेकिन आज से पहले मैंने ऐसा तेजस्वी, सौम्य और दीप्तिमान मृग नहीं देखा था, जैसा कि यह श्रेष्ठ मृग दिखाई दे रहा है।