श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 42: मारीच का सुवर्णमय मृगरूप धारण करके श्रीराम के आश्रम पर जाना और सीता का उसे देखना  »  श्लोक 8
 
 
श्लोक  3.42.8 
 
 
प्रलोभयित्वा वैदेहीं यथेष्टं गन्तुमर्हसि।
तां शून्ये प्रसभं सीतामानयिष्यामि मैथिलीम्॥ ८॥
 
 
अनुवाद
 
  (तुम्हें बस) वैदेही कुमारी सीता के मन में अपने प्रति आकर्षण पैदा कर देना है। उसे लुभाकर तुम जहाँ चाहो जा सकते हो। आश्रम खाली होने पर मैं मिथिलेश कुमारी सीता को जबर्दस्ती उठा लाऊँगा॥ ८॥
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.