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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 3: अरण्य काण्ड
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सर्ग 42: मारीच का सुवर्णमय मृगरूप धारण करके श्रीराम के आश्रम पर जाना और सीता का उसे देखना
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श्लोक 26
श्लोक
3.42.26
विक्रीडंश्च क्वचिद् भूमौ पुनरेव निषीदति।
आश्रमद्वारमागम्य मृगयूथानि गच्छति॥ २६॥
अनुवाद
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वह कभी जंगल में खूब खेलता-कूदता, कभी धरती पर बैठ जाता और कभी आश्रम के द्वार पर पहुँचकर फिर से हिरणों के पीछे-पीछे निकल जाता।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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