श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 42: मारीच का सुवर्णमय मृगरूप धारण करके श्रीराम के आश्रम पर जाना और सीता का उसे देखना  »  श्लोक 23
 
 
श्लोक  3.42.23 
 
 
कदलीगृहकं गत्वा कर्णिकारानितस्तत:।
समाश्रयन् मन्दगतिं सीतासंदर्शनं तत:॥ २३॥
 
 
अनुवाद
 
  कदली वन में जाकर वह कनेरों के कुंज में पहुँच गया। फिर जिस जगह से सीता को देखा जा सकता था, ऐसी जगह पर जाकर मंद गति से इधर-उधर घूमने लगा॥ २३॥
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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