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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 3: अरण्य काण्ड
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सर्ग 42: मारीच का सुवर्णमय मृगरूप धारण करके श्रीराम के आश्रम पर जाना और सीता का उसे देखना
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श्लोक 12-13h
श्लोक
3.42.12-13h
अवतीर्य रथात् तस्मात् तत: काञ्चनभूषणात्॥ १२॥
हस्ते गृहीत्वा मारीचं रावणो वाक्यमब्रवीत्।
अनुवाद
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तब रावण उस सुवर्णाभूषित रथ से उतरा और उसने मारीच का हाथ अपने हाथ में लेते हुए उससे कहा-
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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