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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 3: अरण्य काण्ड
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सर्ग 41: मारीच का रावण को विनाश का भय दिखाकर पुनः समझाना
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श्लोक 6
श्लोक
3.41.6
वध्या: खलु न वध्यन्ते सचिवास्तव रावण।
ये त्वामुत्पथमारूढं न निगृह्णन्ति सर्वश:॥ ६॥
अनुवाद
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‘रावण! निश्चय ही वधके योग्य तुम्हारे वे मन्त्री हैं, जो कुमार्गपर आरूढ़ हुए तुम-जैसे राजाको सब प्रकारसे रोक नहीं रहे हैं; किंतु तुम उनका वध नहीं करते हो॥
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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