श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 41: मारीच का रावण को विनाश का भय दिखाकर पुनः समझाना  »  श्लोक 2
 
 
श्लोक  3.41.2 
 
 
केनायमुपदिष्टस्ते विनाश: पापकर्मणा।
सपुत्रस्य सराज्यस्य सामात्यस्य निशाचर॥ २॥
 
 
अनुवाद
 
  निशाचर! कौन-से पापी व्यक्ति ने तुम्हें बताया है कि पुत्र, राज्य और मंत्रियों के साथ-साथ तुम्हारा विनाश इस प्रकार होगा?
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.