वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 3: अरण्य काण्ड
»
सर्ग 41: मारीच का रावण को विनाश का भय दिखाकर पुनः समझाना
»
श्लोक 19
श्लोक
3.41.19
आनयिष्यसि चेत् सीतामाश्रमात् सहितो मया।
नैव त्वमपि नाहं वै नैव लङ्का न राक्षसा:॥ १९॥
अनुवाद
play_arrowpause
यदि तुम मेरे साथ जाकर श्रीराम के आश्रम से सीता का हरण करोगे, तो न तो तुम बच पाओगे, न मैं और न ही लंकापुरी और उसके निवासी राक्षस।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.