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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 3: अरण्य काण्ड
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सर्ग 41: मारीच का रावण को विनाश का भय दिखाकर पुनः समझाना
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श्लोक 18
श्लोक
3.41.18
दर्शनादेव रामस्य हतं मामवधारय।
आत्मानं च हतं विद्धि हृत्वा सीतां सबान्धवम्॥ १८॥
अनुवाद
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‘राजन्! यह निश्चित समझो कि श्रीरामके सामने जाकर उनकी दृष्टि पड़ते ही मैं मारा जाऊँगा और यदि तुमने सीताका हरण किया तो तुम अपनेको भी बन्धु-बान्धवोंसहित मरा हुआ ही मानो॥ १८॥
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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