श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 41: मारीच का रावण को विनाश का भय दिखाकर पुनः समझाना  »  श्लोक 16
 
 
श्लोक  3.41.16 
 
 
तदिदं काकतालीयं घोरमासादितं मया।
अत्र त्वं शोचनीयोऽसि ससैन्यो विनशिष्यसि॥ १६॥
 
 
अनुवाद
 
  ‘काकतालीय न्यायके अनुसार मुझे तुमसे अकस्मात् ही यह घोर दु:ख प्राप्त हो गया। इस विषयमें मुझे तुम ही शोकके योग्य जान पड़ते हो; क्योंकि सेनासहित तुम्हारा नाश हो जायगा॥ १६॥
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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