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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 3: अरण्य काण्ड
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सर्ग 41: मारीच का रावण को विनाश का भय दिखाकर पुनः समझाना
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श्लोक 14
श्लोक
3.41.14
स्वामिना प्रतिकूलेन प्रजास्तीक्ष्णेन रावण।
रक्ष्यमाणा न वर्धन्ते मेषा गोमायुना यथा॥ १४॥
अनुवाद
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रावण! प्रतिकूल व्यवहार वाले और तीखे स्वभाव वाले राजा के शासन में प्रजा उतनी वृद्धि नहीं कर पाती, जितनी गीदड़ या भेड़िये द्वारा पाले जाने वाले भेड़।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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