श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 41: मारीच का रावण को विनाश का भय दिखाकर पुनः समझाना  »  श्लोक 13
 
 
श्लोक  3.41.13 
 
 
बहव: साधवो लोके युक्तधर्ममनुष्ठिता:।
परेषामपराधेन विनष्टा: सपरिच्छदा:॥ १३॥
 
 
अनुवाद
 
  बहुत से साधु-संत, जिन्होंने उचित धर्म का पालन किया, वे इस संसार में दूसरों के अपराध के कारण अपने परिवार सहित नष्ट हो गए।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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