श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 41: मारीच का रावण को विनाश का भय दिखाकर पुनः समझाना  »  श्लोक 10
 
 
श्लोक  3.41.10 
 
 
राजमूलो हि धर्मश्च यशश्च जयतां वर।
तस्मात् सर्वास्ववस्थासु रक्षितव्या नराधिपा:॥ १०॥
 
 
अनुवाद
 
  विजयशाली राक्षसराज! धर्म और यश की प्राप्ति का मूल कारण राजा ही है। इसलिए, सभी परिस्थितियों में राजा की रक्षा करनी चाहिए।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.