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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 3: अरण्य काण्ड
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सर्ग 41: मारीच का रावण को विनाश का भय दिखाकर पुनः समझाना
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श्लोक 1
श्लोक
3.41.1
आज्ञप्तो रावणेनेत्थं प्रतिकूलं च राजवत्।
अब्रवीत् परुषं वाक्यं नि:शङ्को राक्षसाधिपम्॥ १॥
अनुवाद
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रावण ने जब अपनी राजा वाली स्थिति के घमण्ड में मारीच को यह प्रतिकूल आज्ञा दी, तब मारीच निःशंकित होकर राक्षसराज रावण के प्रति कठोर वाणी में यों बोला-।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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