श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 40: रावण का मारीच को फटकारना और सीताहरण के कार्य में सहायता करने की आज्ञा देना  »  श्लोक 25
 
 
श्लोक  3.40.25 
 
 
प्राप्य सीतामयुद्धेन वञ्चयित्वा तु राघवम्।
लङ्कां प्रति गमिष्यामि कृतकार्य: सह त्वया॥ २५॥
 
 
अनुवाद
 
  सीता को युद्ध किए बिना ही छल से हासिल करके राम को धोखा देकर अपने उद्देश्य को पूरा करके तुम्हारे साथ ही लंका लौट चलूँगा।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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