श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 40: रावण का मारीच को फटकारना और सीताहरण के कार्य में सहायता करने की आज्ञा देना  »  श्लोक 22
 
 
श्लोक  3.40.22 
 
 
अपक्रान्ते च काकुत्स्थे लक्ष्मणे च यथासुखम्।
आहरिष्यामि वैदेहीं सहस्राक्ष: शचीमिव॥ २२॥
 
 
अनुवाद
 
  इस प्रकार राम और लक्ष्मण के दोनों आश्रम से दूर निकल जाने पर मैं सीता को सुखपूर्वक हरण कर लाऊँगा, ठीक उसी तरह जैसे इंद्र ने शची को हरण किया था।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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