श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 40: रावण का मारीच को फटकारना और सीताहरण के कार्य में सहायता करने की आज्ञा देना  »  श्लोक 19
 
 
श्लोक  3.40.19 
 
 
त्वां हि मायामयं दृष्ट्वा काञ्चनं जातविस्मया।
आनयैनमिति क्षिप्रं रामं वक्ष्यति मैथिली॥ १९॥
 
 
अनुवाद
 
  मायावी सुनहरे हिरण को देखकर मिथिला की राजकुमारी सीता बहुत आश्चर्यचकित होंगी और वह जल्दी से राम से कहेंगी कि आप इसे पकड़ लाओ।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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