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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 3: अरण्य काण्ड
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सर्ग 40: रावण का मारीच को फटकारना और सीताहरण के कार्य में सहायता करने की आज्ञा देना
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श्लोक 16
श्लोक
3.40.16
मयोक्तमपि चैतावत् त्वां प्रत्यमितविक्रम।
अस्मिंस्तु स भवान् कृत्ये साहाय्यं कर्तुमर्हसि॥ १६॥
अनुवाद
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अमित पराक्रमी मारीच! मैंने तुमसे ये नहीं कहा कि तुम मेरे लिए यह कार्य कर दो, बल्कि मैंने बस इतना कहा था कि इस कार्य में मेरी सहायता करो।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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