श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 40: रावण का मारीच को फटकारना और सीताहरण के कार्य में सहायता करने की आज्ञा देना  »  श्लोक 12-13
 
 
श्लोक  3.40.12-13 
 
 
पञ्च रूपाणि राजानो धारयन्त्यमितौजस:।
अग्नेरिन्द्रस्य सोमस्य यमस्य वरुणस्य च॥ १२॥
औष्ण्यं तथा विक्रमं च सौम्यं दण्डं प्रसन्नताम्।
धारयन्ति महात्मानो राजान: क्षणदाचर॥ १३॥
 
 
अनुवाद
 
  राक्षसों! अत्यंत तेजस्वी एवं महान मन वाले राजा अग्नि, इंद्र, सोम, यम और वरुण-इन पाँच देवताओं के रूप धारण करते हैं। इसलिए, अपने आप में इन पाँचों के गुण, प्रताप, पराक्रम, सौम्य भाव, दंड और प्रसन्नता धारण करते हैं।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.