श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 4: श्रीराम और लक्ष्मण के द्वारा विराध का वध  »  श्लोक 34
 
 
श्लोक  3.4.34 
 
 
ततस्तु तौ काञ्चनचित्रकार्मुकौ
निहत्य रक्ष: परिगृह्य मैथिलीम्।
विजह्रतुस्तौ मुदितौ महावने
दिवि स्थितौ चन्द्रदिवाकराविव॥ ३४॥
 
 
अनुवाद
 
  तदनंतर वे दोनों राजकुमार, जिनके धनुष सोने से सुशोभित थे, राक्षस का वध करके मैथिली सीता को साथ लेकर उस महान वन में आनंदमग्न हो विचरण करने लगे। वे दोनों भाई आकाश में स्थित चंद्रमा और सूर्य की भांति प्रतीत हो रहे थे।
 
 
इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्येऽरण्यकाण्डे चतुर्थ: सर्ग:॥ ४॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके अरण्यकाण्डमें चौथा सर्ग पूरा हुआ॥ ४॥
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.