वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 3: अरण्य काण्ड
»
सर्ग 4: श्रीराम और लक्ष्मण के द्वारा विराध का वध
»
श्लोक 33
श्लोक
3.4.33
प्रहृष्टरूपाविव रामलक्ष्मणौ
विराधमुर्व्यां प्रदरे निपात्य तम्।
ननन्दतुर्वीतभयौ महावने
शिलाभिरन्तर्दधतुश्च राक्षसम्॥ ३३॥
अनुवाद
play_arrowpause
श्रीराम और लक्ष्मण ने राक्षस विराध को पृथ्वी में बने गड्ढे में गिराकर उसे खुशी-खुशी ऊपर से बहुत सारे पत्थर डालकर पाट दिया। फिर वे उस विशाल जंगल में निर्भय होकर आनंदपूर्वक घूमने लगे।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.