वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 3: अरण्य काण्ड
»
सर्ग 4: श्रीराम और लक्ष्मण के द्वारा विराध का वध
»
श्लोक 32
श्लोक
3.4.32
तदेव रामेण निशम्य भाषितं
कृता मतिस्तस्य बिलप्रवेशने।
बिलं च तेनातिबलेन रक्षसा
प्रवेश्यमानेन वनं विनादितम्॥ ३२॥
अनुवाद
play_arrowpause
उसके द्वारा कही गई उसी बात को सुनकर श्री राम द्वारा उसे गड्ढे में गाड़ देने का विचार बनाया गया था। जब उसे गड्ढे में डाला जाने लगा, तभी उस अत्यन्त बलशाली राक्षस ने अपनी चिल्लाहट से सारे वन क्षेत्र को गुंजा दिया।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.