श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 4: श्रीराम और लक्ष्मण के द्वारा विराध का वध  »  श्लोक 30
 
 
श्लोक  3.4.30 
 
 
अवध्यतां प्रेक्ष्य महासुरस्य तौ
शितेन शस्त्रेण तदा नरर्षभौ।
समर्थ्य चात्यर्थविशारदावुभौ
बिले विराधस्य वधं प्रचक्रतु:॥ ३०॥
 
 
अनुवाद
 
  महासुर विराध को तीखे शस्त्र से वध नहीं किया जा सकता, यह देखकर अत्यन्त कुशल दोनों भाई नरश्रेष्ठ श्रीराम और लक्ष्मण ने उस समय गड्ढा खोदकर उस गड्ढे में उसे डाल दिया। उसके बाद उसे मिट्टी से पाटकर उस राक्षस का वध कर डाला।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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