श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 4: श्रीराम और लक्ष्मण के द्वारा विराध का वध  »  श्लोक 29
 
 
श्लोक  3.4.29 
 
 
तमाहवे दारुणमाशुविक्रमौ
स्थिरावुभौ संयति रामलक्ष्मणौ।
मुदान्वितौ चिक्षिपतुर्भयावहं
नदन्तमुत्क्षिप्य बलेन राक्षसम्॥ २९॥
 
 
अनुवाद
 
   युद्ध भूमि में स्थिरतापूर्वक शीघ्रता से पराक्रम दिखाने वाले श्रीराम और लक्ष्मण ने उस दुष्ट और भयंकर राक्षस विराध को जबरदस्ती उठाकर गड्ढे में फेंक दिया। तभी विराध जोर-जोर से चिल्ला रहा था। उसे गड्ढे में डालकर राम और लक्ष्मण दोनों भाई अत्यंत प्रसन्न हुए।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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