वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 3: अरण्य काण्ड
»
सर्ग 4: श्रीराम और लक्ष्मण के द्वारा विराध का वध
»
श्लोक 28
श्लोक
3.4.28
तं मुक्तकण्ठमुत्क्षिप्य शङ्कुकर्णं महास्वनम्।
विराधं प्राक्षिपच्छ्वभ्रे नदन्तं भैरवस्वनम्॥ २८॥
अनुवाद
play_arrowpause
तब श्रीराम ने उसका गला छोड़ दिया और लक्ष्मण ने दुम की तरह फड़फड़ाते कानों वाले उस विराध को पकड़कर गर्जना करते हुए उस खाई में फेंक दिया।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.