श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 4: श्रीराम और लक्ष्मण के द्वारा विराध का वध  »  श्लोक 28
 
 
श्लोक  3.4.28 
 
 
तं मुक्तकण्ठमुत्क्षिप्य शङ्कुकर्णं महास्वनम्।
विराधं प्राक्षिपच्छ्वभ्रे नदन्तं भैरवस्वनम्॥ २८॥
 
 
अनुवाद
 
  तब श्रीराम ने उसका गला छोड़ दिया और लक्ष्मण ने दुम की तरह फड़फड़ाते कानों वाले उस विराध को पकड़कर गर्जना करते हुए उस खाई में फेंक दिया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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