श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 4: श्रीराम और लक्ष्मण के द्वारा विराध का वध  »  श्लोक 27
 
 
श्लोक  3.4.27 
 
 
तत: खनित्रमादाय लक्ष्मण: श्वभ्रमुत्तमम्।
अखनत् पार्श्वतस्तस्य विराधस्य महात्मन: ॥ २ ७॥
 
 
अनुवाद
 
  तब लक्ष्मण जी ने कुदाल लेकर उस विशालकाय विराध के निकट ही एक बेहद बड़ा गड्ढा खोद डाला।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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