श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 4: श्रीराम और लक्ष्मण के द्वारा विराध का वध  »  श्लोक 24-25
 
 
श्लोक  3.4.24-25 
 
 
तच्छ्रुत्वा राघवो वाक्यं लक्ष्मणं व्यादिदेश ह॥ २४॥
कुञ्जरस्येव रौद्रस्य राक्षसस्यास्य लक्ष्मण।
वनेऽस्मिन्सुमहान् श्वभ्र: खन्यतां रौद्रकर्मण:॥ २५॥
 
 
अनुवाद
 
  (वह किस तरह गड्ढे में डाला गया?—यह बात अब बतायी जाती है-) रघुनाथजी ने लक्ष्मण को आज्ञा दी — ‘लक्ष्मण! हाथी की तरह भयंकर राक्षस के लिए इस वन में ही एक बहुत बड़ा गड्ढा खोदो। वह राक्षस भयानक काम करता है।’
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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