श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 4: श्रीराम और लक्ष्मण के द्वारा विराध का वध  »  श्लोक 18-19h
 
 
श्लोक  3.4.18-19h 
 
 
अनुपस्थीयमानो मां स क्रुद्धो व्याजहार ह॥ १८॥
इति वैश्रवणो राजा रम्भासक्तमुवाच ह।
 
 
अनुवाद
 
  मैं रम्भा नामक अप्सरा के प्रति आसक्त था। इसलिये एक दिन ठीक समय पर उनकी सेवा में उपस्थित न हो सका। इससे कुपित होकर राजा वैश्रवण (कुबेर) ने मुझे उपर्युक्त शाप दिया था और उससे मुक्ति पाने की अवधि बतायी थी।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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