अनुपस्थीयमानो मां स क्रुद्धो व्याजहार ह॥ १८॥
इति वैश्रवणो राजा रम्भासक्तमुवाच ह।
अनुवाद
मैं रम्भा नामक अप्सरा के प्रति आसक्त था। इसलिये एक दिन ठीक समय पर उनकी सेवा में उपस्थित न हो सका। इससे कुपित होकर राजा वैश्रवण (कुबेर) ने मुझे उपर्युक्त शाप दिया था और उससे मुक्ति पाने की अवधि बतायी थी।