श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 4: श्रीराम और लक्ष्मण के द्वारा विराध का वध  »  श्लोक 15
 
 
श्लोक  3.4.15 
 
 
कौसल्या सुप्रजास्तात रामस्त्वं विदितो मया।
वैदेही च महाभागा लक्ष्मणश्च महायशा:॥ १५॥
 
 
अनुवाद
 
  हे पिताजी! माता कौशल्या आपके द्वारा उत्तम संतानवती हुई हैं। मुझे यह ज्ञात हुआ कि आप ही श्रीरामचंद्र जी हैं। यह महाभागा विदेहराज की पुत्री सीता हैं और ये आपके छोटे भाई परम यशस्वी लक्ष्मण हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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