वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 3: अरण्य काण्ड
»
सर्ग 4: श्रीराम और लक्ष्मण के द्वारा विराध का वध
»
श्लोक 15
श्लोक
3.4.15
कौसल्या सुप्रजास्तात रामस्त्वं विदितो मया।
वैदेही च महाभागा लक्ष्मणश्च महायशा:॥ १५॥
अनुवाद
play_arrowpause
हे पिताजी! माता कौशल्या आपके द्वारा उत्तम संतानवती हुई हैं। मुझे यह ज्ञात हुआ कि आप ही श्रीरामचंद्र जी हैं। यह महाभागा विदेहराज की पुत्री सीता हैं और ये आपके छोटे भाई परम यशस्वी लक्ष्मण हैं।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.