श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 4: श्रीराम और लक्ष्मण के द्वारा विराध का वध  »  श्लोक 10
 
 
श्लोक  3.4.10 
 
 
तपसा पुरुषव्याघ्र राक्षसोऽयं न शक्यते।
शस्त्रे ण युधि निर्जेतुं राक्षसं निखनावहे ॥ १ ०॥
 
 
अनुवाद
 
  ‘पुरुषसिंह! ये राक्षस तपस्या के बल पर अवध्य हो गया है। इसे युद्ध में शस्त्रों से नहीं जीता जा सकता। इसलिये उसे पराजित करने के लिये हमलोग छल से काम लेंगे। हम एक गड्ढा खोदेंगे और उसमें राक्षस को गाड़ देंगे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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