तुम मेरे मित्र हो। मैं तुम्हारे कल्याण के लिए ही ये बातें कह रहा हूँ। यदि तुम मेरी बात नहीं मानोगे तो आज युद्ध में राम के सीधे जाने वाले बाणों द्वारा घायल होकर तुमको अपने सभी मित्रों और परिवार के साथ प्राण त्यागने पड़ेंगे।
इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्येऽरण्यकाण्डे एकोनचत्वारिंश: सर्ग: ॥ ३ ९॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके अरण्यकाण्डमें उनतालीसवाँ सर्ग पूरा हुआ ॥ ३ ९॥