श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 39: मारीच का रावण को समझाना  »  श्लोक 25
 
 
श्लोक  3.39.25 
 
 
इदं वचो बन्धुहितार्थिना मया
यथोच्यमानं यदि नाभिपत्स्यसे।
सबान्धवस्त्यक्ष्यसि जीवितं रणे
हतोऽद्य रामेण शरैरजिह्मगै:॥ २५॥
 
 
अनुवाद
 
  तुम मेरे मित्र हो। मैं तुम्हारे कल्याण के लिए ही ये बातें कह रहा हूँ। यदि तुम मेरी बात नहीं मानोगे तो आज युद्ध में राम के सीधे जाने वाले बाणों द्वारा घायल होकर तुमको अपने सभी मित्रों और परिवार के साथ प्राण त्यागने पड़ेंगे।
 
 
इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्येऽरण्यकाण्डे एकोनचत्वारिंश: सर्ग: ॥ ३ ९॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके अरण्यकाण्डमें उनतालीसवाँ सर्ग पूरा हुआ ॥ ३ ९॥
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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