वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 3: अरण्य काण्ड
»
सर्ग 39: मारीच का रावण को समझाना
»
श्लोक 22
श्लोक
3.39.22
सोऽहं परापराधेन विनशेयं निशाचर।
कुरु यत् ते क्षमं तत्त्वमहं त्वां नानुयामि वै॥ २२॥
अनुवाद
play_arrowpause
निशाचर! पराए अपराध के कारण मैं भी नष्ट हो सकता हूँ, इसलिए जो भी तुम्हें उचित लगे, वही करो। मैं इस काम में तुम्हारा साथ नहीं दे सकता।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.